
एक आदमी की लंबी-चौड़ी खेती थी पर पानी ना मिल पाने के कारण उसे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। प्राय: उसकी फसल खराब हो जाती थी। वह बहुत परेशान था। एक दिन उसने अपनी व्यथा किसी पहुँचे हुए साधक के सामने प्रकट की। साधक ने कहा तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। तुम अपने खेत में पचास हाथ गड्ढा कर दो। उसमें अपार पानी निकलेगा। किसान ने गड्ढा खोदा पर उसमें पानी नहीं निकला। उसने पचास हाथ गड्ढा खोदा पर उसमें पानी नहीं निकला। वह संत के पास पहुँचा और शिकायत की। संत ने कहा- तुमने गड्ढा खोदा क्या? किसान बोला- हाँ मैंने गड्ढा खोदा पर उसमें पानी नहीं निकला। संत बोला- ऐसा नहीं हो सकता। संत कौतुक और आश्चर्य से भर कर उसके खेत में गए। जाकर, देखते क्या है? उस किसान ने एक-एक हाथ के अलग-अलग पचास गड्ढे खोद रखे थे। अब अलग-अलग गड्ढों में से पानी कहाँ से निकले। संत ने कहा- ऐसे तो तुम पचास हजार गड्ढे खोद लोगे तो भी गड्ढे में ही रहोगे। पानी कभी नहीं निकलेगा।
सीख
बंधुओं! हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि जीवन में परम उपलब्धि पाने के लिए हमें कहाँ खोदना है और कहाँ खोजना है| जीवन की उपलब्धि के लिए प्रयत्न मात्र पर्याप्त नहीं होते हैं। हम प्रयास कर रहे हैं यह इतना महत्वपूर्ण नहीं, महत्वपूर्ण यह है कि हमारे प्रयास की दिशा क्या है? राइट डायरेक्शन में किया गया छोटा सा पुरुषार्थ बड़ा परिणाम देता है और गलत डायरेक्शन में किए जाने वाले बड़े-बड़े प्रयत्न भी अर्थहीन होते हैं।