आत्मा से परमात्मा की यात्रा का पावन स्थल
गुणायतन – यह कोई साधारण तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण की एक जीवंत यात्रा है। झारखंड स्थित श्री सम्मेद शिखर जी की पुण्यभूमि पर, युगसाधक सन्तशिरोमणि दिगम्बर जैनाचार्य श्री108 विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की दिव्य दृष्टि और प्रेरणा से निर्माणाधीन यह तीर्थस्थान धर्म, दर्शन और विज्ञान का अद्भुत समन्वय है। यहाँ श्रद्धा है, साधना है, संवेदना है और सबसे बढ़कर, अनुभव की सजीव अनुभूति है। गुणायतन वह पवित्र स्थल है, जहाँ प्रत्येक कदम आत्मा की ऊर्ध्वगति का आह्वान करता है, और साधक अपने भीतर छिपे अनंत प्रकाश को खोजने की दिशा में अग्रसर होता है। यह स्थान न केवल बाह्य तीर्थयात्रा है, बल्कि अंतर्मन की यात्रा का भी प्रेरक केन्द्र है, जहाँ श्रद्धा, विज्ञान और आत्मसाक्षात्कार एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। वस्तुत: सिद्ध भूमि की इस प्राण वायु में हम भावों से साक्षात सिद्धारोहण कर सकेंगे। तीर्थराज की वंदना के प्रयोजन की सिद्धि में मील का पत्थर सिद्ध होगा यह गुणायतन।

मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज
युगसाधक संतशिरोमणि दिगम्बर जैनाचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने तीर्थ को केवल एक पूजास्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव केंद्र बनाने का संकल्प किया जहाँ प्रत्येक श्रद्धालु आत्मा की चेतना से परम चेतना की ओर अग्रसर हो सके। गुणायतन उसी संकल्प का साकार रूप है – एक ऐसा स्थल जहाँ धर्म केवल वाचन नहीं, बल्कि दर्शन, श्रवण और अनुभव का माध्यम बन जाता है। गुणायतन, पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की प्रेरणा से साकार हो रहा एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल है जहाँ परंपरा की गहराई और तकनीक की ऊँचाई मिलकर धर्म को जीवंत अनुभव में बदल देते हैं। यह तीर्थ, आत्मा को उसकी दिव्यता का बोध कराते हुए मोक्षमार्ग की ओर उन्मुख करता है।
“गुणायतन – जहाँ तीर्थ यात्रा, आत्म यात्रा बन जाती है।”



क्या है गुणायतन?
गुणायतन, केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा के उत्थान और मोक्ष की ओर बढ़ती यात्रा का एक जीवंत केंद्र है। झारखंड स्थित श्री सम्मेद शिखर जी की पुण्यभूमि पर, पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से विकसित यह तीर्थ धर्म, दर्शन और आधुनिक तकनीक का ऐसा संगम है, जहाँ श्रद्धा, साधना और अनुभव एकाकार हो जाते हैं।
यहाँ धर्म को केवल देखा या सुना नहीं जाता –
उसे जिया जाता है, अनुभव किया जाता है।
पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी का यह संकल्प रहा कि तीर्थ केवल पूजा का केंद्र न होकर, आत्मबोध और जागृति का सजीव स्थल बने – जहाँ हर आगंतुक को यह अनुभूति हो कि मैं आत्मा हूँ और मोक्ष मेरा अंतिम लक्ष्य है। गुणायतन, इसी संकल्प का मूर्त रूप है।
- ज्ञानमन्दिर
- एनिमेशन होलोग्राम
- 9डी स्क्रीन
- आत्मिक दिग्दर्शन
- 270डिग्री स्क्रीन
- गुणस्थान
- संस्थापक सदस्य
- निर्माण नायक
- स्तम्भ
- सूत्रधार
- निर्माण सारथी
- निर्माण मित्र
- निर्माण निधि
- प्रतिमा स्थापना
- भव्य जिन मन्दिर
- ऑडिटोरियम
- संत निवास
- यात्री निवास
- कम्प्युटराइज्ड लाइब्रेरी
- ध्यान मन्दिर
- सल्लेखना भवन
- कीर्ति स्तम्भ

गुणायतन की विशिष्टताएँ

✨ चतुर्गति से मोक्षगमन तक की झांकी

✨ बोलता हुआ समवसरण

✨ भगवान का श्रीविहार और मोक्षगमन

✨ ज्ञान की सहज व्याख्या

एक आध्यात्मिक उड़ान ‘Soaring Ride ‘
अनुभव केंद्र
गुणायतन का सबसे अनोखा और आकर्षक केंद्र है “अनुभव केंद्र”, जहाँ स्थित है – विश्व की पहली धार्मिक “Soaring Ride”, यह कोई साधारण राइड नहीं, यह है आत्मा की अंतर्यात्रा: जहाँ आकाश में उड़ते हुए आप देखेंगे भगवान का समवसरण अनुभव करेंगे श्रीविहार और मोक्षमार्ग प्रकाश, ध्वनि और गति का ऐसा अद्वितीय संगम जो हृदय की गहराई तक उतरता है। जैन धर्म की गहराई को आधुनिक तकनीक के माध्यम से आत्मा तक पहुँचाने वाला एक अद्वितीय प्रयोग है। यहाँ दर्शन सजीव होता है, और श्रद्धा वैज्ञानिक हो उठती है।
जहाँ तीर्थ यात्रा, आत्म यात्रा बन जाती है।
गुणायतन एक आह्वान है -अपनी आत्मा को जानने का, जीवन को मोक्ष की दिशा में मोड़ने का । यह तीर्थ हमें परंपरा की जड़ों से जोड़ता है और तकनीक के पंखों से ऊँचाई तक ले जाता है। गुणायतन की संरचना केवल कला और स्थापत्य का अनुपम प्रस्तुती करण ही नहीं अपितु प्रकाश, ध्वनि के संयोजन एवं संगीत के माध्यम से जीवन्त-प्राणवन्त एवं ऊर्जस्वित जैन सिद्धांत का दर्पण भी है। जब-जब आगम पढ़ते हैं, तब-तब सोचते हैं – काश हम भी होते समवसरण में, सुनते भगवान की दिव्यध्वनि, देखते तीर्थंकरों का श्री विहार, सीखते सौधर्म की भक्ति, झुकते देखते सतेन्द्र, जानते अपने सात भव, पहचानते अपना गुणस्थान – इन्हीं भावनाओं की साकारता को आकार दे रहा है गुणायतन – आत्मविकास का दिव्य सदन।
“गुणायतन वह पुण्य भूमि है जहाँ आत्मा से परमात्मा की सम्पूर्ण यात्रा का प्रत्यक्ष साक्षात्कार होता है”
चौदह गुणस्थान
जैन दर्शन में आत्मशक्तियों के विकास अथवा आत्मा से परमात्मा बनने की शिखर यात्रा के क्रमिक सोपानों को चौदह गुणस्थानों द्वारा बहुत सुंदर ढंग से विवेचित किया गया है। जैन दर्शन में जीव के आवेगों-संवेगों और मन-वचन-काय की प्रवत्तियों के निमित्त से अन्तरंग भावों में होने वाले उतार-चढ़ाव को गुणस्थानों द्वारा बताया जाता है। गुणस्थान जीव के भावों को मापने का पैमाना है।
जहाँ आप देखेंगे अत्याधुनिक तकनीक से सज्जित एनीमेशन, होलोग्राम, प्रकाश, ध्वनि और संगीत से युक्त सोरिन राइड एवं 4DX थिएटर में 270 डिग्री की स्क्रीन पर आत्मा से परमात्मा की जीवंत यात्रा जैन दर्शन में प्रतिपादित चौदह गुणस्थानों का जीवंत चित्रण। चतुर्गति भ्रमण से मोक्ष गमन तक की जीवंत झाँकी, बोलता हुआ समवसरण, भगवान का श्री विहार एवं मोक्ष गमन, जैन सिद्धांतो की वैज्ञानिक प्रयोग शाला।
“शिखरजी गिरिराज पर गुणायतन निर्माण, पल में ही सब जान ले चौदह गुणस्थान।
बच्चे-बच्चे में धर्म की अलख जगाएगा, पोथियों की बातें पलों में समझाएगा”
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GUNAYATAN NYAS , HDFC Bank (80G) , Giridih

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