आत्म विकास का दिव्य सदन

मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज
जिस प्रकार से सूर्य की किरणों से जगत का अन्धकार मिट जाता है, ऐसे ही मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी सिद्धांतों में छुपे वैज्ञानिक तथ्यों को अपनी सरल वाणी से शंका समाधान, प्रवचनों और साहित्य से समस्त दुनिया के जीवों का मार्ग दर्शन करते हैं।
“सत्य और संस्कृति का सजा भव्य वितान,
कदम मिलाकर चल पड़े धर्म और विज्ञान”||

क्या है गुणायतन?
‘गुणायतन’ मुनिश्री के प्रौढ़ चिन्तन और परिपक्व परिकल्पना का जीवन्त प्रमाण है। जैन धर्मावलम्बियों के शिरोमणि तीर्थस्थल श्रीसम्मेद शिखर जी की तलहटी में निर्माणाधीन यह एक ऐसा उपक्रम है, जिसके माध्यम से पोथियों की बातों को पल में जाना जा सके। गुणायतन एक ऐसा ज्ञानमन्दिर बनने जा रहा है, जो जैन सिद्धान्तों की प्रयोगशाला बनकर मानवमात्र के आत्मविकास का दिव्य द्वार सिद्ध होगा।
“गुणायतन बनेगा सभी की आशा
बच्चे भी समझेंगे आगम की भाषा”
गुणायतन : दिव्य गुणों का दर्पण कैसा है गुणायतन ?
- पंचायतन शैली, उत्कृष्ट स्थापत्य कला विशाल स्तम्भों पर उन्कीर्ण भव्य कलाकृतियों से सुसज्जित, प्रतिष्ठा शिल्प के अनुरूप आकर्षक आराधना-स्थल
- विज्ञान द्वारा धर्म के रहस्य चित्रपट पर दृश्यमान
- आगम में पढ़ा, गुरुओं से सुना सब होगा छविमान
- शब्द, संगीत प्रमाश १ डी होलोग्राम 27 डिग्री स्त्री-गुणस्थानों को देगी बताएगी पहचान
- कभी देखा, न सुना, सब होगा साकार
- खयं की होगी पहचान
- सिद्ध क्षेत्र पर समझेगें सिद्धत्व करेंगें मोश यथ मुम्ति पथ का दिग्दर्शन
- धरा पर गूंजेगा अलैकिक संगीत
- जन्म का सार्थक होगा उद्देश्य


क्या है गुणायतन?
‘गुणायतन’ मुनिश्री के प्रौढ़ चिन्तन और परिपक्व परिकल्पना का जीवन्त प्रमाण है। जैन धर्मावलम्बियों के शिरोमणि तीर्थस्थल श्रीसम्मेद शिखर जी की तलहटी में निर्माणाधीन यह एक ऐसा उपक्रम है, जिसके माध्यम से पोथियों की बातों को पल में जाना जा सके। गुणायतन एक ऐसा ज्ञानमन्दिर बनने जा रहा है, जो जैन सिद्धान्तों की प्रयोगशाला बनकर मानवमात्र के आत्मविकास का दिव्य द्वार सिद्ध होगा।
“गुणायतन बनेगा सभी की आशा
बच्चे भी समझेंगे आगम की भाषा”
- संस्थापक सदस्य
- निर्माण नायक
- स्तम्भ
- सूत्रधार
- निर्माण सारथी
- निर्माण मित्र
- निर्माण निधि
- प्रतिमा स्थापना
- ज्ञानमन्दिर
- एनिमेशन होलोग्राम
- 9डी स्क्रीन
- आत्मिक दिग्दर्शन
- 270डिग्री स्क्रीन
- गुणस्थान
- भव्य जिन मन्दिर
- ऑडिटोरियम
- संत निवास
- यात्री निवास
- कम्प्युटराइज्ड लाइब्रेरी
- ध्यान मन्दिर
- सल्लेखना भवन
- कीर्ति स्तम्भ


क्या है गुणायतन?
‘गुणायतन’ मुनिश्री के प्रौढ़ चिन्तन और परिपक्व परिकल्पना का जीवन्त प्रमाण है। जैन धर्मावलम्बियों के शिरोमणि तीर्थस्थल श्रीसम्मेद शिखर जी की तलहटी में निर्माणाधीन यह एक ऐसा उपक्रम है, जिसके माध्यम से पोथियों की बातों को पल में जाना जा सके। गुणायतन एक ऐसा ज्ञानमन्दिर बनने जा रहा है, जो जैन सिद्धान्तों की प्रयोगशाला बनकर मानवमात्र के आत्मविकास का दिव्य द्वार सिद्ध होगा।
“गुणायतन बनेगा सभी की आशा
बच्चे भी समझेंगे आगम की भाषा”
- संस्थापक सदस्य
- निर्माण नायक
- स्तम्भ
- सूत्रधार
- निर्माण सारथी
- निर्माण मित्र
- निर्माण निधि
- प्रतिमा स्थापना
- ज्ञानमन्दिर
- एनिमेशन होलोग्राम
- 9डी स्क्रीन
- आत्मिक दिग्दर्शन
- 270डिग्री स्क्रीन
- गुणस्थान
- भव्य जिन मन्दिर
- ऑडिटोरियम
- संत निवास
- यात्री निवास
- कम्प्युटराइज्ड लाइब्रेरी
- ध्यान मन्दिर
- सल्लेखना भवन
- कीर्ति स्तम्भ

गुणायतन क्यों?
तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर समस्त जैन धर्मावलम्बियों का शिरोमणि तीर्थ स्थल है। यहाँ देश- विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। इस परम पूज्य तीर्थ पर पूज्य मन्दिर के अतिरिक्त ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं / पर्यटकों को आकर्षित कर उन्हें जैन धर्म के मर्म का बोध करा सके। सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्रेष्ठ प्रमाणसागर जी महाराज का ध्यान जब इस ओर आकृष्ट किया गया तो उनके मुख से सहज ही निकल पड़ा। यहाँ कुछ ऐसा होना चाहिए, जिससे पोथियों की बातों को पलों में जाना जा सके। ‘मुनि श्री’ की इसी प्रेरणा का परिणाम है- ‘गुणायतन’, जिसे शब्द, ध्वनि, प्रकाश और चल चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

कैसा है गुणायतन ?
कई लोग गुणायतन शिखरजी को एक ऐसे स्थान के रूप में मानते हैं, जहाँ वे मानसिक शांति और आंतरिक शुद्धता की तलाश करते हैं। जैन अनुयायी और अन्य धार्मिक लोग यहाँ ध्यान, पूजा और साधना करने आते हैं ताकि वे आत्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर बढ़ सकें।
“गुणायतन मुनिश्री के प्रौढ़ चिंतन और परिपक्व परिकल्पना का प्रमाण है|”






कैसा है गुणायतन ?
कई लोग गुणायतन शिखरजी को एक ऐसे स्थान के रूप में मानते हैं, जहाँ वे मानसिक शांति और आंतरिक शुद्धता की तलाश करते हैं। जैन अनुयायी और अन्य धार्मिक लोग यहाँ ध्यान, पूजा और साधना करने आते हैं ताकि वे आत्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर बढ़ सकें।
“गुणायतन मुनिश्री के प्रौढ़ चिंतन और परिपक्व परिकल्पना का प्रमाण है|”

MARGI SUTARIA

ROHIT JAIN

Anshul Taran

Suprabhat Khot

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चौदह गुणस्थान
जैन दर्शन में आत्मशक्तियों के विकास अथवा आत्मा से परमात्मा बनने की शिखर यात्रा के क्रमिक सोपानों को चौदह गुणस्थानों द्वारा बहुत सुंदर ढंग से विवेचित किया गया है. जैन दर्शन में जीव के आवेगों-संवेगों और मन-वचन-काय की प्रवत्तियों के निमित्त से अन्तरंग भावों में होने वाले उतार-चढ़ाव को गुणस्थानों द्वारा बताया जाता है. गुणस्थान जीव के भावों को मापने का पैमाना है.

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गुणायतन न्यास, बैंक ऑफ इंडिया, पारसनाथ शाखा

गुणायतन न्यास, एक्सिस बैंक, गिरिडीह शाखा

गुणायतन, एक्सिस बैंक, गिरिडीह शाखा

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