पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और मुनि श्री की प्रेरणा से बनने जा रहा गुणायतन एक ऐसा ज्ञान मन्दिर होगा, जो जैन सिद्धान्तों की वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनकर सबके आत्म विकास का दिव्यद्वार बनेगा। जहाँ आकर मानव अपने जीवन के मर्म को जान सकेगा, सम्यग्दृष्टि और मिव्यादृष्टि के फर्क को पहचान सकेगा। कैसा होता है ‘श्रावक’, कैसे होते हैं ‘मुनिराज’, कैसा होता है ‘ध्यान’, कैसे होती है कर्मों की ‘निर्जरा’, कैसे होता है ‘केवलज्ञान’, कैसा होता है ‘समवशरण कैसे खिरती है भगवान की ‘दिव्य ‘ध्वनि’, कैसे होता है भगवान का श्री विहार और कैसे करते हैं प्रभु ‘मोक्ष-गमन’, यह सब आप अपनी आँखों से साक्षात् अनुभव कर सकेंगे। यह सम्पूर्ण कार्यक्रम आधुनिकतम तकनीक के साथ एनिमेशन होलोग्राम के माध्यम से शब्द, संगीत और प्रकाश के साथ 9 डी और 270 डिग्री के स्क्रीन पर दिखाया जाएगा। पूरे कार्यक्रम को इस तरह समायोजित किया गया है कि जैन-अजैन, बाल- बृद्ध सभी रुचिपूर्वक आनन्द के साथ आसानी से समझ सकेंगे। पोथियों की बातों को पलों में बताने वाले गुणायतन में जो कुछ भी होगा, वह अद्भुत और अकल्पनीय होगा।
क्या है गुणायतन? कैसा है गुणायतन ?


